PCOS के साथ जीना – एक इमोशनल सफर

PCOS (Polycystic Ovary Syndrome) सिर्फ एक शारीरिक बीमारी नहीं है, बल्कि इसका सीधा असर मानसिक और भावनात्मक जीवन पर भी पड़ता है। जब एक महिला PCOS से जूझती है, तो वह न केवल अपने शरीर में होने वाले बदलावों से लड़ती है, बल्कि मानसिक रूप से भी कई ऊँच-नीच से गुजरती है।
Dr. Sunanda Sahu (BNYS) बताती हैं, “PCOS एक साइलेंट स्ट्रगल है, जो बाहर से तो नजर नहीं आता लेकिन अंदर ही अंदर महिलाओं को तोड़ता है।”
1. आत्मविश्वास की कमी
PCOS के कारण होने वाले फेशियल हेयर, वजन बढ़ना और एक्ने जैसी समस्याएं महिलाओं का आत्मविश्वास कम कर देती हैं। कई बार वे खुद को समाज से अलग महसूस करने लगती हैं।
2. बार-बार निराशा और चिंता
हॉर्मोनल असंतुलन के कारण मूड स्विंग्स आम हो जाते हैं। छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा, उदासी या डर महसूस होना सामान्य है।
3. रिश्तों में तनाव
अक्सर महिलाएं अपनी समस्याओं को किसी के साथ साझा नहीं कर पातीं। इससे रिश्तों में दूरी आ जाती है – चाहे वो पार्टनर हो या परिवार।
4. करियर और समाज का दबाव
बहुत सी महिलाएं करियर में पीछे महसूस करती हैं क्योंकि उनका शरीर उनका साथ नहीं देता। समाज भी अक्सर उनकी स्थिति को समझने की बजाय जज करता है।
5. अकेलापन महसूस करना
PCOS से जूझ रही महिलाएं कभी-कभी इतना अकेला महसूस करती हैं कि उन्हें लगता है कोई उन्हें समझ नहीं सकता।
समाधान क्या है?
- मनोवैज्ञानिक सहायता लें। मानसिक स्वास्थ्य भी उतना ही जरूरी है जितना शारीरिक स्वास्थ्य।
- योग और ध्यान को दिनचर्या में शामिल करें। इससे मानसिक शांति और आत्म-नियंत्रण आता है।
- फेसबुक या इंस्टाग्राम पर PCOS सपोर्ट ग्रुप्स जॉइन करें जहां आप अपने जैसी महिलाओं से बात कर सकें।
- अपनी स्थिति के बारे में खुलकर बात करें – परिवार और दोस्तों से छुपाने की जरूरत नहीं।
Dr. Sunanda Sahu बताती हैं कि प्राकृतिक उपचार और संतुलित जीवनशैली से न केवल शरीर को, बल्कि मन को भी स्वस्थ किया जा सकता है।
निष्कर्ष:
PCOS एक भावनात्मक संघर्ष भी है, न कि सिर्फ एक मेडिकल टर्म। इससे लड़ने के लिए ताकत, जानकारी और सपोर्ट सिस्टम की जरूरत होती है। खुद को दोष देना बंद करें – आप अकेली नहीं हैं।
लेखिका: Dr. Sunanda Sahu (BNYS)