PCOS के कारण बार-बार मूड खराब क्यों होता है? जानिए मानसिक असर

क्या आप कभी-कभी बिना किसी वजह के बहुत चिड़चिड़ी या उदास महसूस करती हैं? क्या आपका मूड दिनभर में कई बार बदल जाता है, और आप खुद नहीं समझ पातीं क्यों? अगर आप PCOS से जूझ रही हैं, तो इसका सीधा असर आपके मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ सकता है।
हम अक्सर PCOS को केवल हार्मोनल या फिजिकल समस्या मानते हैं — जैसे पीरियड्स की गड़बड़ी, वजन बढ़ना या चेहरे पर अनचाहे बाल। लेकिन हकीकत यह है कि यह समस्या मन और दिमाग को भी गहराई से प्रभावित करती है।
डॉ. सुनंदा साहू (BNYS), जो पीसीओएस की नेचुरल थैरेपी में विशेषज्ञ हैं, बताती हैं कि “कई बार महिलाएं इलाज सिर्फ शरीर पर दिख रहे लक्षणों का करती हैं, लेकिन उनके भीतर चल रहा तनाव, चिंता और मूड स्विंग्स की अनदेखी कर देती हैं। यही कारण है कि PCOS लंबे समय तक बना रहता है।”
PCOS और मूड स्विंग्स का कनेक्शन क्या है?
PCOS के दौरान शरीर में हार्मोनल असंतुलन होता है — खासकर एंड्रोजन, इंसुलिन और कोर्टिसोल जैसे हार्मोन्स। इनका सीधा असर दिमाग के उस हिस्से पर पड़ता है जो हमारे भावनात्मक संतुलन को कंट्रोल करता है।
यह हार्मोनल रोलर कोस्टर कई महिलाओं में अनजाने में डिप्रेशन, एंग्ज़ायटी, गुस्सा और उदासी जैसी भावनाएं जन्म देता है।
पीरियड्स से पहले या बाद में मूड बदलना
कई महिलाएं हर महीने पीरियड्स से ठीक पहले बहुत ज्यादा इमोशनल हो जाती हैं — छोटी बातों पर रो पड़ना, अचानक अकेलापन महसूस करना, या खुद को बेकार समझना। यह सब PCOS से जुड़ा हुआ हो सकता है।
कम आत्मविश्वास और चिड़चिड़ापन
चेहरे पर बार-बार मुंहासे, वजन बढ़ना और अनचाहे बाल आत्मविश्वास को बुरी तरह गिरा सकते हैं। महिला खुद को दूसरों से कमतर समझने लगती है। ये भावनाएं धीरे-धीरे चिड़चिड़ेपन और गुस्से का रूप ले लेती हैं।
क्या यह सिर्फ हार्मोन की वजह से होता है?
हार्मोनल असंतुलन तो मुख्य कारण है ही, लेकिन सोशल प्रेशर, फैमिली का सपोर्ट न मिलना, या डॉक्टर के पास जाने में झिझक जैसी बातें भी मानसिक स्थिति को और खराब कर सकती हैं।
अक्सर महिलाएं खुद को दोष देने लगती हैं — “मेरे साथ ही ऐसा क्यों हो रहा है?”, “क्या मैं कभी ठीक हो पाऊंगी?” — ये सवाल भीतर से तोड़ देते हैं।
डॉ. सुनंदा साहू का सुझाव
डॉ. सुनंदा साहू (BNYS) का कहना है कि “PCOS को सिर्फ दवा से नहीं, बल्कि तनाव को समझकर, उसे एक्सप्रेस करके और नेचुरल थैरेपी के जरिए ही पूरी तरह से मैनेज किया जा सकता है।”
वे सुझाव देती हैं कि हर महिला को अपने शरीर और मन की signals को गंभीरता से लेना चाहिए। अगर आप बार-बार भावनात्मक अस्थिरता महसूस कर रही हैं, तो यह सिर्फ ‘मूड’ नहीं है — यह एक हेल्थ कंडीशन हो सकती है।
क्या करें जब मूड बार-बार बदलता है?
- हर दिन 20-30 मिनट योग या ध्यान करें
- अपने विचारों को डायरी में लिखें — यह बहुत मदद करता है
- दोस्तों या किसी भरोसेमंद व्यक्ति से खुलकर बात करें
- मीठा खाने की क्रेविंग पर कंट्रोल रखें, इससे मूड खराब हो सकता है
- सोने का समय तय करें और स्क्रीन टाइम कम करें
PCOS से जुड़ा मानसिक संघर्ष दिखता नहीं है, लेकिन उसे जीना बहुत भारी होता है। इसे हल्के में लेने की गलती ना करें। शरीर के साथ-साथ दिमाग को भी आराम और देखभाल की ज़रूरत होती है।
अगर आप चाहें तो ऑनलाइन कम्युनिटी, हेल्थ फोरम या trusted डॉक्टरों से बात कर सकती हैं। ऐसे कई प्लेटफॉर्म हैं जो मुफ्त में गाइडेंस देते हैं और बिल्कुल सुरक्षित होते हैं।
लेखिका: डॉ. सुनंदा साहू (BNYS)