डायबिटीज और थायराइड का क्या संबंध है?

डायबिटीज और थायराइड दो अलग-अलग स्वास्थ्य समस्याएं हैं, लेकिन इनके बीच एक गहरा संबंध होता है। अक्सर देखा गया है कि थायराइड के असंतुलन से डायबिटीज की समस्या बढ़ सकती है और डायबिटीज के मरीजों में थायराइड की समस्या भी पाई जा सकती है। आइए समझते हैं कि ये कैसे जुड़ी हुई हैं।
थायराइड और उसका काम
थायराइड ग्रंथि शरीर में हार्मोन बनाने का काम करती है जो मेटाबॉलिज्म, ऊर्जा, और हार्मोनल बैलेंस को नियंत्रित करते हैं। थायराइड की कमी (हाइपोथायराइडिज्म) या अधिकता (हाइपरथायराइडिज्म) दोनों ही शरीर की क्रियाओं को प्रभावित करते हैं।
डायबिटीज और थायराइड के बीच संबंध
- थायराइड की कमी और शुगर: हाइपोथायराइडिज्म मेटाबॉलिज्म धीमा कर देता है, जिससे शरीर की इंसुलिन संवेदनशीलता घटती है और ब्लड शुगर कंट्रोल मुश्किल होता है।
- थायराइड की अधिकता: हाइपरथायराइडिज्म शरीर की ऊर्जा जरूरत बढ़ा देता है, जिससे शुगर लेवल में अस्थिरता आ सकती है।
- ऑटोइम्यून कारण: दोनों बीमारियों के पीछे ऑटोइम्यून कारण हो सकते हैं जैसे हाशिमोटो थायराइड और टाइप 1 डायबिटीज।
- हॉर्मोनल असंतुलन: थायराइड हार्मोन इंसुलिन की कार्यप्रणाली को प्रभावित करता है, जिससे डायबिटीज के लक्षण और बिगड़ सकते हैं।
डॉ. सुनंदा साहू (BNYS) की सलाह:
“डायबिटीज और थायराइड दोनों का परीक्षण और नियंत्रण बहुत जरूरी है। एक बीमारी के लक्षण दूसरे को भी प्रभावित कर सकते हैं। सही डायग्नोसिस के साथ, नेचुरोपैथिक तरीके और संतुलित खानपान से दोनों बीमारियों को साथ में संभाला जा सकता है।”
कैसे रखें दोनों को कंट्रोल में?
- नियमित ब्लड शुगर और थायराइड हार्मोन जांच कराएं।
- स्वस्थ आहार लें जिसमें आयोडीन, सेलेनियम और विटामिन डी शामिल हों।
- योग और व्यायाम से मेटाबॉलिज्म को सक्रिय रखें।
- डॉक्टर की सलाह से दवाओं का नियमित सेवन करें।
डिस्क्लेमर: यह जानकारी केवल शैक्षिक उद्देश्यों के लिए है। किसी भी बीमारी के निदान या इलाज के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श अवश्य करें।