टाइप 1 और टाइप 2 डायबिटीज में क्या फर्क है?

डायबिटीज यानी मधुमेह एक ऐसी बीमारी है जो शरीर में इंसुलिन हार्मोन की कमी या कार्यप्रणाली में खराबी के कारण होती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि डायबिटीज दो प्रकार की होती है – टाइप 1 और टाइप 2? आइए समझते हैं इनके बीच क्या फर्क है और किसे किस प्रकार की डायबिटीज होने की संभावना ज्यादा रहती है।
टाइप 1 डायबिटीज क्या है?
यह एक ऑटोइम्यून बीमारी है जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली (immune system) पैंक्रियास में इंसुलिन बनाने वाली कोशिकाओं को नष्ट कर देती है। इससे शरीर में इंसुलिन बनना लगभग बंद हो जाता है।
- अधिकतर मामलों में यह बचपन या किशोरावस्था में होती है।
- टाइप 1 डायबिटीज के मरीजों को रोज़ाना इंसुलिन लेना पड़ता है।
- इसका अभी तक कोई स्थायी इलाज नहीं है, लेकिन इंसुलिन थेरेपी से कंट्रोल किया जा सकता है।
टाइप 2 डायबिटीज क्या है?
यह डायबिटीज का सबसे आम प्रकार है और अक्सर उम्र बढ़ने, मोटापे, खराब जीवनशैली और आनुवंशिक कारणों से होती है।
- इसमें शरीर इंसुलिन बनाता तो है, लेकिन उसका सही इस्तेमाल नहीं कर पाता (Insulin Resistance)।
- टाइप 2 डायबिटीज को खानपान, व्यायाम और दवाओं से नियंत्रित किया जा सकता है।
- यह ज्यादातर 40 की उम्र के बाद होती है, लेकिन आजकल युवाओं में भी देखी जा रही है।
मुख्य अंतर
- शुरुआत का समय: टाइप 1 – बचपन/किशोरावस्था, टाइप 2 – व्यस्क अवस्था
- इंसुलिन उत्पादन: टाइप 1 – नहीं होता, टाइप 2 – होता है पर असरदार नहीं
- इलाज: टाइप 1 – केवल इंसुलिन, टाइप 2 – लाइफस्टाइल सुधार और दवाएं
डॉ. सुनंदा साहू (BNYS) की सलाह
“अगर किसी बच्चे में ज्यादा प्यास लगना, बार-बार पेशाब आना, अचानक वजन घटना या थकान महसूस होना दिखे, तो तुरंत ब्लड शुगर की जांच कराएं। वहीं, वयस्कों में वजन बढ़ना, कम एक्टिविटी, पेट की चर्बी और खानपान की गड़बड़ी टाइप 2 डायबिटीज की ओर संकेत करते हैं।”
निष्कर्ष
टाइप 1 और टाइप 2 डायबिटीज दोनों ही गंभीर स्थितियां हैं, लेकिन जागरूकता और सही इलाज से इन्हें नियंत्रण में रखा जा सकता है। जीवनशैली में सुधार, नियमित जांच और डॉक्टर की सलाह सबसे महत्वपूर्ण हैं।
Disclaimer: यह जानकारी केवल शैक्षणिक उद्देश्य के लिए है। किसी भी स्वास्थ्य समस्या में अपने डॉक्टर से परामर्श जरूर लें। लेख में दी गई सलाह Dr. Sunanda Sahu (BNYS) के क्लिनिकल अनुभव और रिसर्च पर आधारित है।